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Showing posts from April, 2017

डॉ बी एल मंसुरिया होंगे नए कार्यवाहक पीएमओ

डॉ देवेंद्र कुमार भाटिया हुए सेवानिवर्त, डॉक्टर्स ने दी विदाई डॉ भाटिया जी का डॉक्टर्स ने माला पहनाकर व गुलाल लगाकर दी शुभकामनाएं बाड़मेर। राजकीय चिकित्सालय के निवर्तमान प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार भाटिया अपनी राजकीय सेवाओं से आज सेवानिवर्त हो गए। इस अवसर पर अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा औपचारिक रूप से डॉ भाटिया सर को मालाएं पहनाकर व गुलाल लगाकर विदाई की रस्म अदा की। अस्पताल परिवार की ओर से डॉ भाटिया जी का विदाई समारोह आगामी तारीख को विधिवत आयोजित किया जाएगा। इस अवसर पर डॉ बी एल मसूरिया, डॉ हरीश चौहान, डॉ दिनेश परमार, डॉ संजीव मित्तल, डॉ हनुमान चौधरी, डॉ गोपाल चौधरी, डॉ जगराम मीणा, डॉ राजीव जैन, डॉ अनिल सेठिया, डॉ महिपाल चौधरी, डॉ शालू परिहार, डॉ सुरेन्द्र सिंह चौधरी, डॉ महेंद्र कुमार चौधरी, डॉ सीमा मित्तल, डॉ सुरेन्द्र बाहरी, डॉ बीएल सोनी, डॉ जसराज बोहरा, डॉ लोकेंद्र सिंह, डॉ भानुप्रताप, डॉ रामजीवन विश्नोई, डॉ कपिल जैन, डॉ हिम्मत देथा सहित समस्त उपस्थित डॉक्टर्स व नर्सिंग अधीक्षक बाबूलाल जी पूनड़, डाटा मैनेजर अबरार मोहम्मद, कौंसलर नरेंद्र कुमार ने प्रमुख चिकित्स...

अनु मेघवाल- एक उभरता चेहरा

राजस्थान में जहां एक तरफ़ भ्रूण हत्यायें कम होने का नाम नही ले रही है, हम कह सकते है कि आज भी लोग बेटियाँ को कलंक मानते है और जन्म से पहले ही बेटियां  मौत के घाट उतार दी जाती है। वही दूसरी तरफ़ जयपुर की सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज की एक शख्स ऐसी भी है जो बेटियों के नाम पर गर्व है। छात्रा अनु मेघवाल। अनु समाज सेवा में उत्कृष्ट प्रदर्शन तो कर ही रही है साथ ही राजनीति मे भी योगदान दे रही है। मेघवाल का कहना है की बेटी एक देवी का रुप होती है, हमे बेटियों की पूजा करनी चाहिये। यदि समाज मे नारियों की इज्जत होगी तो समाज का उत्थान होगा और समाज मे नारियों का मनोबल बढेगा। क्योंकी आजाद हिंदुस्तान मे समानता का अधिकार है इस कारण हम बेटियों को डरना नही है, बल्कि विपरीत परिस्थितियों का सामना करना होगा। अनु अपने परिवार और मित्रों को आदर्श मानती है तथा राजनीति मे जाने के लिये तथा शिक्षा के लिये बहूत प्रेरित करती है। गरीबो की सेवा करना मुख्य आधार मानती है। अनु बीस साल है और मेघवाल समाज की युवा चेहरा है। इन्होने सरकारी कॉलेज से एम.बी.बी.एस किया है। अनु अपने ट्वीटर,फेसबुक, इन्स्टोग्राम, यू-ट्यूब ...

रिख रामदेव इतिहास के आईने से

बाबा रामदेव के लोक साहित्य मे हुऐ भक्त कवियों के तिथिक्रम / समयकाल /अन्तराल को देखियै - जिनके पृणित लोक साहित्य - कथा वाणी /भजन / सायल / महिमा इत्यादी को मुख्य आधार मानकर सैकड़ों साहित्यकार "बाबा रामदेव का इतिहास ओर साहित्य" उजागर करतै जा रहै है --- क्या वे प्रमाण साहित्य पूर्ण है- - न्याय के तराजु मे ? (1) बाबा रामदेव के समकालीन विक्रम सॅवत 14 वी शताब्दी मे ऐसा कोई भक्त कवि नही देखने को मिलता है - जिसके पृणित भजनो मे बाबा रामदेव का कोई इतिहास उजागर होता हो । केवल धारु जी मेघवाल ओर बाई रुपादे का समकालीन लोकसाहित्य जरुर है मगर उसमें बाबा रामदेव के इतिहास की पुर्ण जानकारी नही देखने को मिलती है (2) बाबा रामदेव के समकालीन किसी भी राव भाट चारण इत्यादी कवि ने उनकी कोई महिमा बखान नही की । (3)विक्रम सॅवत 14वी शताब्दी से लेकर 17वी तक कोई ऐसा कोई भक्त कवि इतिहास मे नही देखनै को मिलता है जिन्होंने बाबा रामदेव की कोई महिमा व इतिहास बखाण किया हो । _______________________________________ 17वी शताब्दी के बाद देखो ~ 1722 मे सिद्ध राजुसिह तॅवर हुऐ - मगर उनके भजन बहुत कम है 1729 मे क...

एक शिक्षक की मेहनत से अनुकरणीय बना यह विद्यालय

शिव ब्लॉक के ग्राम पंचायत नागड़दा के राजस्व ग्राम  निंबलानाडा का एक मॉडल विद्यालय नेशनल हाईवे NH 15 से 12 किलोमीटर दूर स्थित है। इस ग्राम पंचायत के राजस्व गांव नीम्बलानाडा में एक ऐसा भी विद्यालय है जिसका सभी को अनुसरण करने की जरूरत है। इसकी स्थापना 1995 में हुई थी यह विद्यालय पंचायती राज विभाग के अंतर्गत स्थापित है इस राजस्व गांव में 90% अल्पसंख्यक जाति के लोग निवास करते हैं यह ग्राम सुख सुविधाओं से वंचित है। यहां पर विद्यालय तक डामरीकृत सड़क है लेकिन यहां पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव है यह ग्राम पानी एवं विद्युत से वंचित है। इस विद्यालय  में 1995 से लेकर वर्तमान तक नामांकन की स्थिति लगभग 80 से 90 के करीब है और उनमें बालिकाओं की संख्या ज्यादा है परंतु उनको पढ़ाने के लिए कई सालों से एकल अध्यापक की व्यवस्था है। इस विद्यालय में 2012 से वर्तमान तक एकल शिक्षक कार्यरत है। विद्यालय में 3 कक्षा कक्ष और एक कार्यालय कक्ष बना हुआ है और विद्यालय विद्युतीकृत है विद्यालय के अंदर लगभग 30 पेड़ पौधे लगे हुए राज्य सरकार के नियमानुसार 30 बच्चों पर एक शिक्षक की व्यवस्था है परंतु यह मात्र ...

अजमेर का पुराना नाम अजमेघ

आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया की पूर्वी राजपुताना की रपोर्ट में भी अजमेर के मेघो के बारे में बहुत ही महत्वपूर्ण विश्लेषण है। इस सीरिज के वॉल्यूम 6 में बताया गया है कि मेग यहाँ के आदि- निवासी है और उनकी सघन बस्तियों के कारण ही इसका यह नाम पड़ा। संदर्भित मूल पाठ प्रष्ट 8 पर निम्म्नवत है- "The name of Ajmer might also otherwise have been derived from the Meg's, or ..the original inhabitants of Ajmer, the south of Marwar" इसी पैरा में उन्हें यानि मेगो को अरावली के मग जातीय लोगों से भिन्न बताया है। देखे- "Meg's--- who I think, must be considered as a distinct people from mags or magma of the aravalli." Ref: ASI report---Eastern Rajputana in 1871-72 and 1873-74 by A. C. L Carlleyle ed A Cunningham. इसी रिपोट में आगे जयपुर के पास स्थित आमेर के नामकरण और उनकी स्थापना के बारे में जिक्र है। यह मत रखा है कि आमेर अम्बरिख नेर कहलाता था। इसके मालिक meg थे। वह यह भी लिखता है कि हमारे द्वारा मेग( मेग ) को मेर(mer) लिखना गलत है। ये लोग meg ही थे। ...

मेघवाल समाज और धर्म

मेघवालों के प्रारंभिक इतिहास या उनके धर्म के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। संकेत मिलते हैं कि मेघ   शिव   और नाग के उपासक थे. मेघवाल राजा बली को भगवान के रूप में मानते हैं और उनकी वापसी के लिए प्रार्थना करते हैं।   कई सदियों से   केरल   में यही प्रार्थना   ओणम   त्योहार का वृहद् रूप धारण कर चुकी है। वे एक   नास्तिक   और समतावादी ऋषि   चार्वाक   के भी मानने वाले थे। आर्य चार्वाक के विरोधी थे। दबाव जारी रहा और चार्वाक धर्म का पूरा साहित्य जला दिया गया।   इस बात का प्रमाण मिलता है कि 13 वीं शताब्दी में कई मेघवाल   इस्लाम   की शिया निज़ारी शाखा के अनुयायी बन गए और कि निज़ारी विश्वास के संकेत उनके अनुष्ठानों और मिथकों में मिलते हैं।   अधिकांश मेघों को अब हिंदू माना जाता है , हालांकि कुछ इस्लाम या   ईसाई धर्म   जैसे अन्य धर्मों के भी अनुयायी हैं। मध्यकालीन हिंदू पुनर्जागरण , जिसे   भक्ति काल   भी कहा जाता है , के दौरान राजस्थान के एक मेघवाल कर्ता राम महाराज , मेघवालों के आध्यात्मिक ...

अब शादी कार्ड्स पर भी बाबा साहेब

  अक्षय तृतीया के अवसर पर शादियों की सीजन है और गाँव-गाँव खुशियों का माहौल है. वर्तमान परिपेक्ष्य में ग्रामीण लोगों में भी फैशन की ओर रुची भी बढ़ी है. महंगे जेवरात, कपड़े और सामान के अलावा शादी के कार्ड तक की डिजाईन के प्रति भी लोगों का नजरिया बदला है. शादी के कार्ड की बात की जाये तो जहाँ पहले शादी के कार्डों पर देवी-देवताओं के फोटो हुआ करते थे वही अनुसूचित जातियों में जाग्रति के चलते उनके महापुरुषों की और झुकाव बढ़ा है जिससे प्रमुख व्यक्तित्वों ने शादियों के कार्ड में भी जगह बना ली है. इन सभी मे आधुनिक भारत के पिता कहे जाने वाले भारत रत्न डॉ बाबा साहेब का फोटो सबसे आगे है. अनुसूचित जातियो की शादियों के जो कार्ड छपे है उन पर बाबा साहेब का फोटो लगाये जा रहे है, जो यह साबित करता है की अब वे इतने जागरूक हो चुके है की समझ सकते है उन महापुरुषों का उनके इस सुखी जीवन में कितना योगदान है.

जानिये "विश्व ज्ञान के प्रतिक" के बारे में

डॉ.भीमराव अम्बेडकर के बारे में ऐसे तथ्य जो छिपे हुए है ______________________________ __________ ( प्रो.एवं इतिहासकार श्रीमान ताराराम गौतम से मिली जानकारी का हिन्दी अनुवाद) कृपया अपना कीमती समय निकालकर डॉ. भीमराव अम्बेडकर बारे में छिपी बेशकीमती वास्तविकता को जानने का श्रम करें …. अम्बेडकर के महान कार्य :- एक भारतीय युवा के रूप में डॉ.भीमराव अम्बेडकर की अधिकांश जानकारियों को साझा करते हुए ख़ुशी और गर्व महसूस होता है |  “ आधुनिक भारत के संस्थापक और पिता- क्रांतिकारी डॉ .बाबासाहेब अम्बेडकर “ के बारे में अज्ञात तथ्य – आप सभी से मेरा विनम्र अनुरोध है की इसे पढ़ने के बाद आगे से आगे साझा ( share) करे- 1 . कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय इंग्लैंड 2011( विश्व का शीर्ष विश्वविद्यालय) के अनुसार दुनिया का पहला प्रतिभाशाली केवल एक भारतीय व्यक्ति डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर है , जो इस विश्वविद्यालय में सबसे शीर्ष स्थान पर रहा. 2 . प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार पाने वाले 6 वे भारतीय अर्थशास्त्री प्रो. अमर्त्य सेन का दावा है कि डॉ.   बी. आर. अम्बेडकर अर्थशास्त्र में मेरे पिता है ”. 3. भारत क...