सफ़र
की बात है इंसानियत चलते चलते वर्तमान तक आ पहुंची. सदियाँ बित जाये मगर कुछ निशान
ऐसे होते है जिन्हें जमाना भूल नही पाता. आज ऐसे ही एक शख्स को दुनिया भर में नम
आँखों से याद किया जा रहा है.
वैसे
तो उसके अहसान हम सब पर है मगर कुछ अहसान फ़रामोश भी है जिनकी खानदानी आदतें उनसे
छोड़ी नही जाती.
दुनिया
का वो कीमती शख्स जिसे पाकर शिक्षा खुद पर नाज करती है. जिसे विश्व ज्ञान का
प्रतिक कहा गया.
जिसे
ना ज्यादा किताबों में पढाया गया, जिसे ना गीतों में गाया गया मगर फिर वो दिलों
में ऐसे राज करता है जैसे कहीं साथ ही पला-बढ़ा हो.
हम
बात कर रहे है महामानव, विश्व ज्ञान के प्रतिक बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की.
आज 6 दिसंबर को उनका महापरिनिर्वाण दिवस है. आज ही के दिन सन 1956 को वो हमारे लिए
बहुत कुछ छोड़कर भी हमें अकेला कर गये. ऐसा नही था की उनको केवल जानकारों ने याद किया
बल्कि पूरे भारतवर्ष के लाखों-करोड़ों लोगों की अंतरआत्माएं चीख-चीख कर रो रही थी.
इंसानियत
को मानने वाला वो हर व्यक्ति जिसने उन्हें जान लिया उनका हो गया, उसे फिर किसी तरह
का बंधन बांध नही सका. अम्बेडकर की क्षमता के आगे इंसानियत ताउम्र नतमस्तक रहेगी,
उनके अद्भुत ज्ञान, अनुभव का अनुसरण कर पूरा भारतवर्ष चलायमान है वर्ना किसी शख्स
में ऐसी क्षमता नही जो एक पार्टी, एक परिवार, एक कुनबे को एक कर सके मगर उन्होंने
पुरे देश को एक सूत्र में बांध लिया. उनके द्वारा किये गये ऐसे ही कामों के कारण
आज हम गमगीन आँखों से अपने ह्रदय से सच्ची श्रदांजली अर्पित करते है.
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