हमारा अतीत बहुत ही गौरवशाली रहा है । मेघवाल क्षत्रियोत्पन्न हिंदू-धर्म की एक जाति नहीं है बल्कि मेघवंश क्षत्रिय वंश रहा है ! हड़प्पा कालीन सभ्यता के उत्खनन में पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध हो चुके हैं कि मेघवाल ही पुराप्रागैतिहासिक काल में शासक(क्षत्रिय) थे ! विस्मित न हो , आर्यों नें उन्हें पराजित किया और उनके सब राजसी ठाट-बाट और वैभव छीन लिए । बुरा हो उन आर्यों का , जिन्होंने हमें क्षुद्र-वर्ण में धकेल दिया ! हमारी हीनता की जड़ें हमें हिंदू धर्म में विलीन करने की प्रक्रिया में सन्निहित रही है। इस प्रकार सर्वप्रथम मेघवाल ही क्षत्रिय थे ! मेघवालों के बाद ये तथाकथित ‘ क्षत्रिय ’ अस्तित्व में आए । चूँकि ‘ बाप ही बेटों से बड़ा और महान् होता है ’ अत: हमारे पूर्वज (वर्तमान सन्दर्भ मेंहम ) इन तथाकथित ‘ क्षत्रियों ’ से महान् माने जाएँगे ! अत: समस्त धर्म हमारे ही ‘ वंशजों ’ द्वारा उत्पन्न हुए हैं इसमें कोई दो राय नहीं हैं ! यदि कनिष्क वासुदेव , मिनांडर , भद्र मेघ , शिव मेघ , वासिठ मेघ आदि पुरातात्विक अभिलेखांकन व मुद्राएँ न मिलतीं , तो इतनी अत्यल्प ज...
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