Skip to main content

बाड़मेर में 125 करोड़ से होगा कशीदाकारी एवं हस्तशिल्प संवर्द्वन

बाड़मेर की कशीदाकारी को विश्व पटल पर उतारने के लिए तैयार होगा वेब पोर्टल  

उद्योग विभाग ने बाड़मेर जिले के परंपरागत हस्तशिल्प कढ़ार्इ्र-कशीदाकारी एप्लिक एव हैण्ड एम्ब्रोइडरी को संरक्षण, संवर्द्धन, प्रषिक्षण और मार्केट लिंकेजेज के माध्यम से प्रोत्साहित करने के लिए 1 करोड़ 24 लाख 91 हजार रूपए की विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर क्रियान्वयन शुरु किया है।

उद्योग विभाग के आयुक्त एवं सीएसआर सचिव अजिताभ शर्मा ने बताया कि तीन साल की कार्ययोजना के अनुसार क्षेत्र की महिलाओं के स्वयं सहायता समूह एवं इन समूहों का फैडरेशन बनाकर महिलाओं को प्रशिक्षण, बाजार की मांग के अनुसार डिजाइन तैयार करने, तकनीक का उपयोग एवं विपणन सहयोग की व्यवस्था की जाएगी। उन्हांेने बताया कि इस कार्यक्रम में बाड़मेर के सनावड़ा, डूगेरो का ताला, कगाउ, उडंखा, गुडामालानी के मालपुरा, सिणधरी के आडेल और धोरीमन्ना के मेहलू, मांगता एवं बूठ गांवों की 500 से 600 महिला आर्टिजन को शामिल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इन महिलाओं के 20 से 25 के समूह में 25 स्वयं सहायता समूह गठित कर परंपरागत तकनीक के साथ ही आधुनिक तकनीक व डिजाइन का प्रशिक्षण निफ्ट या इसके स्तर के योग्य प्रशिक्षक एवं डिजाइनर के माध्यम से प्रोसेसिंग, डिजाइनिंग, ट्रेचिंग, पास्टिंग, टाइडिंग, कढ़ाई और फिनिसिंग का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके साथ ही देश के अन्य प्रदेशों के हस्तशिल्पियों के कार्यों को देखने के लिए एक्सपोजर विजिट की व्यवस्था भी की जाएगी।। उन्होंने बताया कि परियोजना में महिला कलाकारों को मशीन एवं आवश्यक टूल्स आदि भी उपलब्ध कराए जाएंगे। अजिताभ शर्मा ने बताया कि बाड़मेर की कशीदाकारी को विश्वपटल पर उतारने के लिए इसका एक वेब पोर्टल भी तैयार करवाया जाएगा। इस पोर्टल में बाड़मेर की कढ़ाई-कशीदाकारी कला की पूरी जानकारी होने के साथ ही देश-विदेश से सीधे आदेश प्राप्त करने की सुविधा भी होगी। इसके अलावा स्थानीय एवं विदेशों में मांग को देखते हुए संभावित खरीददारों-निर्याताकों से सीधा समन्वय बनवाया जाएगा। ताकि कशीदाकारी से जुड़ी महिलाओं को उनके उत्पादों का लाभकारी मूल्य मिल सके। इसके अलावा प्रदेश एवं देश में आयोजित होने वाले मेले प्रदर्शनियों के माध्यम से भी बाजार उपलब्ध कराया जाएगा। शर्मा ने बताया कि एक अप्रैल से परियोजना का बाड़मेर में क्रियान्वयन आंरभ कर दिया गया है।

Comments

  1. बाड़मेर के बढ़ते कदम।।

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

मेघवालों का गौरवशाली इतिहास यहाँ पढ़े

हमारा अतीत बहुत ही गौरवशाली रहा है । मेघवाल क्षत्रियोत्पन्न हिंदू-धर्म की एक जाति   नहीं   है बल्कि मेघवंश क्षत्रिय वंश रहा है ! हड़प्पा कालीन सभ्यता के उत्खनन में पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध हो चुके हैं कि मेघवाल ही पुराप्रागैतिहासिक काल में शासक(क्षत्रिय) थे !   विस्मित न हो , आर्यों नें उन्हें पराजित किया और उनके सब राजसी ठाट-बाट और वैभव छीन लिए । बुरा हो उन आर्यों का , जिन्होंने हमें क्षुद्र-वर्ण में धकेल दिया ! हमारी हीनता की जड़ें हमें हिंदू धर्म में विलीन करने की प्रक्रिया में सन्निहित रही है। इस प्रकार सर्वप्रथम मेघवाल ही क्षत्रिय थे ! मेघवालों के बाद ये तथाकथित ‘ क्षत्रिय ’ अस्तित्व में आए । चूँकि ‘ बाप ही बेटों से बड़ा और महान् होता है ’ अत: हमारे पूर्वज (वर्तमान सन्दर्भ मेंहम ) इन तथाकथित ‘ क्षत्रियों ’ से महान् माने जाएँगे ! अत: समस्त धर्म हमारे ही ‘ वंशजों ’ द्वारा उत्पन्न हुए हैं इसमें कोई दो राय नहीं हैं ! यदि कनिष्क वासुदेव ,  मिनांडर ,  भद्र मेघ ,  शिव मेघ , वासिठ मेघ आदि पुरातात्विक अभिलेखांकन व मुद्राएँ न मिलतीं ,  तो इतनी अत्यल्प ज...

वीर राजाराम कडेला का बलिदान दिवस आज

मारवाड़ का अमर शहीद "मेघवीर "राजाराम जी कडेला मेघवाल पिता मोहणसी जी व माता का नाम केसर जिन्होंने 12 मई 1459 वार शनिवार जोधपुर किले की नींव मे बलिदान दिया| " दियो ब-ितसो राजाराम ,जद मण्डियो मेहराण | उचनीत रै कारणै, ना राख्यो नाम निशाण || ना राख्यो नाम निशाण, जोधाणो बेरंग लागे | ना छतरी ना मूरत ज्यारी, गढ मेहराणे आगे || रणबेंका राठोेैड क्यू , भूल्या थे अहसाण | दियो ब-तीसो राजाराम, जद मण्डियो मेहराण || शेर नर राजाराम मेघवाल भी जोधपुर नरेशो के हित के लिए बलिदान हो गए थे !मोर की पुंछ के आकर !वाले जोधपुर किले की नीव जब सिंध के ब्राह्मण ज्योतिषी गनपत ने राव जोधाजी के हाथ से वि ० स० 1516 में रखवाई गई तब उस नीव में मेघवंशी राजाराम जेठ सुदी 11 शनिवार (इ ० सन 1459 दिनाक 12 मई ) को जीवित चुने गए क्यों की राजपूतो में यह एक विश्वास चला आ रहा था की यदि किले की नीव में कोई जीवित पुरुष गाडा जाये तो वह किला उनके बनाने वालो के अधिकार में सदा अभय रहेगा !इसी विचार से किले की नीव में राजाराम (राजिया )गोत्र कडेला मेघवंशी को जीवित गाडा गया था ! उसके उअपर खजाना और नक्कार खा...

रिख रामदेव इतिहास के आईने से

बाबा रामदेव के लोक साहित्य मे हुऐ भक्त कवियों के तिथिक्रम / समयकाल /अन्तराल को देखियै - जिनके पृणित लोक साहित्य - कथा वाणी /भजन / सायल / महिमा इत्यादी को मुख्य आधार मानकर सैकड़ों साहित्यकार "बाबा रामदेव का इतिहास ओर साहित्य" उजागर करतै जा रहै है --- क्या वे प्रमाण साहित्य पूर्ण है- - न्याय के तराजु मे ? (1) बाबा रामदेव के समकालीन विक्रम सॅवत 14 वी शताब्दी मे ऐसा कोई भक्त कवि नही देखने को मिलता है - जिसके पृणित भजनो मे बाबा रामदेव का कोई इतिहास उजागर होता हो । केवल धारु जी मेघवाल ओर बाई रुपादे का समकालीन लोकसाहित्य जरुर है मगर उसमें बाबा रामदेव के इतिहास की पुर्ण जानकारी नही देखने को मिलती है (2) बाबा रामदेव के समकालीन किसी भी राव भाट चारण इत्यादी कवि ने उनकी कोई महिमा बखान नही की । (3)विक्रम सॅवत 14वी शताब्दी से लेकर 17वी तक कोई ऐसा कोई भक्त कवि इतिहास मे नही देखनै को मिलता है जिन्होंने बाबा रामदेव की कोई महिमा व इतिहास बखाण किया हो । _______________________________________ 17वी शताब्दी के बाद देखो ~ 1722 मे सिद्ध राजुसिह तॅवर हुऐ - मगर उनके भजन बहुत कम है 1729 मे क...